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भारत ने बढ़ाई शी जिनपिंग की टेंशन, चीन सीमा पर तैनात किए जाएंगे 10,000 से ज्यादा अतिरिक्त जवान, नई डिवीजन के गठन की तैयारी

भारत चीन से लगती सीमा की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात जवानों की संख्या बढ़ाने की तैयारी है

भारत चीन से लगती सीमा की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात जवानों की संख्या बढ़ाने की तैयारी है. इसके लिए भारतीय सेना संवेदनशील पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में स्थायी रूप से तैनात करने के लिए एक डिवीजन का गठन करने जा रही है. भारत के इस फैसले से चीनी सैन्य नेतृत्व में हड़कंप है.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ये नई डिविजन पहले से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात तीन डिवीजन के अतिरिक्त होगी. इस नए डिविजन को 72 डिविजन कहा जाएगा.

एक डिविजन में कितने सैनिक?

सेना में एक डिवीजन में 10,000-15,000 लड़ाकू सैनिक और 8,000 सहायक होते हैं. आमतौर पर एक डिविजन में 20 हजार सैनिक होते हैं. डिविडन की कमान एक मेजर जनरल रैंक के अधिकारी के पास होती है. एक डिविजन में 3 से 4 ब्रिगेड शामिल होती हैं. एक ब्रिगेड में 3,500-4,000 सैनिक होते हैं और एक ब्रिगेडियर इसका कमांडर होता है.

नई डिविजन के गठन का काम भी शुरु हो चुका है. इसमें शामिल होने वाले सैनिकों और अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. 2 डिवीजन को स्थायी रूप से लेह स्थित 14 फायर एंड फ्यूरी कोर के अधीन रखा जाएगा. कारगिल युद्ध के बाद सितंबर 1999 में स्थापित किए गए फायर एंड फ्यूरी कोर के जिम्मे ही देश की बसे संवेदनशील सीमा और कठिन युद्धक्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी है.

शांति बनाए रखने के लिए बातचीत भी जारी…

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अतिरिक्त डिविजन की तैनाती का फैसला ऐसे समय लिया गया है जब चीन के साथ संबंध फिर से बेहतर करने के लिए कूटनीतिक स्तर पर बातचीत भी जारी है. 25 मार्च को भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति की व्यापक समीक्षा की. दोनों पक्षों ने सीमा पार सहयोग को शीघ्र बहाल करने पर जोर दिया. इसमें सीमा पार नदियों और कैलाश-मानसरोवर यात्रा पर सहयोग भी शामिल था.

भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 33वीं बैठक के दौरान यह विचार-विमर्श हुआ. बैठक का आयोजन बीजिंग में हुआ. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने किया, जबकि चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा एवं महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक हांग लियांग ने किया.

दोनों पक्षों ने इस दिशा में प्रासंगिक कूटनीतिक और सैन्य तंत्र को बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की. सीमा पार नदियों और कैलाश-मानसरोवर यात्रा सहित सीमा पार सहयोग और आदान-प्रदान को जल्द बहाल करने पर भी चर्चा की गई

Deepak Verma

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