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आखिर युद्ध को बीच में ही छोड़कर आत्महत्या करने क्यों चल दिए थे अर्जुन?

हम बचपन से ही महाभारत की कहानियां सुनते व पढ़ते आ रहे हैं. महाभारत में कई ऐसी सीख दी गई हैं जो कि आपको अन्याय के खिलाफ लड़ना सिखाती हैं और जीवन जीने का सही तरीका भी बताती हैं. महाभारत में रिश्ते, प्रेम, अन्याय, सत्ता और अंधविश्वास से जुड़ी कई बातें सीखने को मिलती हैं. महाभारत में पांडव भाईयों के बीच गहरा प्रेम था जो हमें रिश्ते संभालना सिखाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक-दूसरे से प्रेम करने वाले पांडवों में से अर्जुन और युधिष्ठिर के बीच कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से अर्जुन युद्ध को बीच में ही छोड़कर आत्महत्या करने चल पड़े.

कर्ण की वजह से नाराज हुए ​युधिष्ठिर

महाभारत में कुंती पुत्र कर्ण ने अपने मित्र दुर्योधन यानि कौरवों की ओर से युद्ध लड़ा था और पांडवों का सबसे बड़ा दुश्मन भी कर्ण ही था. कर्ण पांडवों की सेना को लगातार खत्म कर रहा था तभी युधिष्ठिर कर्ण से युद्ध करने कुरुक्षेत्र में गए. युद्ध के दौरान कर्ण ने युधिष्ठिर को घायल कर दिया तब युधिष्ठिर का सारथी उन्हें वहां से बचा कर ले गया. युधिष्ठिर को लगा कि अब अर्जुन युद्ध में कर्ण को मार डालेंगे. जब अर्जुन और कृष्ण घायल युधिष्ठिर से मिलने पहुंचे तो युधिष्ठिर को लगा कि अर्जुन ने कर्ण को मार दिया. लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि कर्ण जीवित है तो वह अर्जुन पर क्रोधित हुए. उन्होंने गुस्से में आकर अर्जुन से कहा कि तुम अपने शस्त्र किसी और को दे दो. यह तुम्हारे किसी काम के नहीं है.

अर्जुन ने किया युधिष्ठिर का अपमान

महाभारत की कहानी के अनुसार अर्जुन ने प्रतिज्ञा ली थी कि यदि कोई उनसे अपने शस्त्र किसी दूसरे को देने के लिए कहेगा तो वह उसका सिर काट देंगे. ऐसे में अर्जुन ने युधिष्ठिर का सिर काटने के लिए तलवार हाथ में उठा ली. तब श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि अपने बड़े या बुजुर्गों का अपमान करना भी हत्या के ही समान है. इसलिए युधिष्ठिर का अपमान कर दो इससे तुम्हारा प्रण भी रह जाएगा और भाई की हत्या भी नहीं होगी.​ फिर श्रीकृष्ण के कहने पर अर्जुन ने युधिष्ठिर को बहुत बुरा-भला कहा और अपमान किया.

आत्महत्या करने चल दिए अर्जुन

अर्जुन की ऐसी अपमानभरी बातें सुनकर युधिष्ठिर को बहुत ठेस पहुंची. तब श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को अर्जुन के प्रण के बारे में बताया और कहा कि यह सब अर्जुन ने मेरे कहने पर ही किया था. यह जानकर युधिष्ठिर ने अर्जुन को माफ कर दिया लेकिन अर्जुन को अपने किए पर पछतावा था और वह इतने दुखी हुए कि युद्ध छोड़कर आत्महत्या करने चल पड़े. तब श्रीकृष्ण ने कहा कि खुद की तारीफ करो क्योंकि ऐसा करना आत्महत्या के ही समान है.

Deepak Verma

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