कामधेनु गौशाला में आयोजित शिव महापुराण कथा के दुसरे दिन उमड़ा जनसैलाब।

लछमणगढ। नरोदडा पंचायत ढोलास में स्थित श्री कामधेनु गौशाला में गौ माता के परम् भक्त पंडित श्री प्रमेशवर लाल जी गुरुकृपा ने दुसरे दिन की कथा में कहा की यह गौशाला आने वाले समय में एक वो तिर्थ स्थान बनेगा जो लछमणगढ तहसील में एक गौशाला के साथ साथ अद्भुत रुप लेगा
नारद मोह सत्ती कथा, जिसे नारद मोह कथा के नाम से भी जाना जाता है, एक पौराणिक कथा है जो देवर्षि नारद के अहंकार और मोह को दर्शाती है। यह कथा रामायण और विष्णु पुराण में मिलती है.
नारद मुनि, जो भगवान विष्णु के परम भक्त हैं, को एक बार अभिमान हो गया कि वे सभी से श्रेष्ठ हैं। उन्होंने कामदेव को भी जीत लिया था और इस पर गर्व कर रहे थे. विष्णु जी को नारद जी के इस अभिमान का पता चल गया और उन्होंने उन्हें सबक सिखाने के लिए एक मायावी नगरी बनाई.
इस नगरी में सुंदर स्त्रियाँ थीं, जिससे नारद जी मोहग्रस्त हो गए। उन्होंने विश्वमोहिनी नाम की एक राजकुमारी से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की। लेकिन जब उन्हें पता चला कि यह सब विष्णु जी की माया है, तो उन्हें बहुत क्रोध आया और उन्होंने विष्णु जी को शाप दिया कि उन्हें भी स्त्री वियोग का दुख सहना पड़ेगा.
नारद मोह कथा भगवान विष्णु के भक्तों के लिए एक चेतावनी है कि अहंकार और मोह से बचना चाहिए। यह कथा हमें सिखाती है कि हमें भगवान की भक्ति में ही लीन रहना चाहिए और अहंकार से दूर रहना चाहिए.
नारद मोह कथा के मुख्य बिंदु:
नारद जी का अभिमान:
नारद जी को यह अभिमान हो गया था कि वे भगवान विष्णु के सबसे अच्छे भक्त हैं और उन्होंने कामदेव को भी जीत लिया है.
विष्णु जी की माया:
विष्णु जी ने नारद जी के अभिमान को दूर करने के लिए एक मायावी नगरी बनाई, जिसमें सुंदर स्त्रियाँ थीं. नारद जी का मोह नारद जी इस मायावी नगरी की सुंदरता से मोहग्रस्त हो गए और विश्वमोहिनी से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की.
नारद जी का क्रोध और शाप:
जब नारद जी को पता चला कि यह सब विष्णु जी की माया है, तो उन्हें बहुत क्रोध आया और उन्होंने विष्णु जी को शाप दिया
यह कथा हमें सिखाती है कि हमें अहंकार से दूर रहना चाहिए और भगवान की भक्ति में ही लीन रहना चाहिए. इस अवसर पर कथा स्थल श्रधालुओं की भक्ती से भर गया। आऐ हुए श्रधालुओं के लिए श्रवण दाधीच महेंद्र दाधीच नरोदडा के द्वारा सात दिवसीय जल व्यवस्था की गई।
वहीं कई भक्तों के द्वारा ठंडा जुस प्रसाद वगैरह की व्यवस्था की
इस गौशाला का संचालन अगस्त 2021 में हुवा था और उस समय से गौशाला में निर्माण कार्य निरंतर चल रहा है गौशाला का संचालन जन सहयोग से हो रहा है गौशाला में लछमणगढ तहसील सीकर जिले सहित शिलांग, गुवाहाटी, कलकत्ता, बैंगलोर, जयपुर, सिलिगुड़ी,पुरवातर के काफी परिवार जुड़े हुए हैं जो निरंतर गौ सेवार्थ अपना योगदान देते रहते हैं। गौशाला परिवार के उम्मेद सिंह शेखावत, बलदेव सिंह शेखावत,सवाई सिंह शेखावत,नादान सिंह शेखावत, मुकेश शर्मा, प्रताप सिंह शेखावत,सुभाष शर्मा ,भवानी सिंह शेखावत,बिकेश दाधीच,मनिष शर्मा, पप्पु ख्यालिया, प्रदीप दाधीच ,शिवराज सिंह शेखावत राकेश शेखावत, राकेश सैनी लछमणगढ जय प्रकाश सरावगी, संजय जोशी होसियार सिंह शेखावत ने कथा प्रारम्भ से एक महिने पहले से ही काफी अथक प्रयास करते हुए कथा की सुचारु व्यवस्था की और काफी प्रचार प्रसार किया।
इन्द्र सिंह शेखावत, मोतीसिंह, सत्यनारायण पारीक, राजपाल सिंह शेखावत,सुभाष सैनी,कान्हा सिंह, मनोहर कुमावत, भुराराम सैनी राकेश शिवराज, रवि दाधीच महेश सैनी ने गौशाला परिवार के द्वारा श्री कामधेनु गौशाला में की गई व्यवस्थाओं को देखकर कहा की एक छोटा-सा पेड़ आज सैकड़ों गायों को गौशाला के रुप में अपनी सेवा दे रहा है जो बहुत ही सराहनीय है।
कथा स्थल पर सैकड़ों महिलाओं की उपस्थिति रही कथा स्थल भजनमय कथा से गुंजायमान हो उठा ।कथा स्थल तक आवागमन करने के लिए गौशाला परिवार के द्वारा वाहनों की अच्छी व्यवस्था की।
कथा के दौरान अंकित खाटु वाला लछमणगढ के द्वारा कथा पंडाल की काफी अच्छी व्यवस्था करते हुए कथा स्थल को मनमोहक बना दिया।
कथा मे आने वाले सभी श्रद्धालुओं को गौशाला परिवार ने धन्यवाद दिया