Environment

अक्टूबर में पूर्वोत्तर में आए 25 भूकंप; पूरे हिमालयी क्षेत्र को रखा गया सबसे उच्च जोखिम वाले ‘ज़ोन-6’ में

शिलांग:ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) द्वारा हाल ही में पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को सबसे उच्च भूकंप-जोखिम श्रेणी में रखे जाने के बाद, अक्टूबर महीने में इस क्षेत्र में 25 भूकंप दर्ज किए गए, जो देश के सभी क्षेत्रों में सबसे अधिक हैं।

अक्टूबर 2025 में पूर्वोत्तर में आए 25 भूकंपों में—

असम: 7

अरुणाचल प्रदेश: 6

मेघालय: 4

मणिपुर और नागालैंड: 2–2

मिजोरम और सिक्किम: 1–1

देशभर में कुल 66 भूकंप दर्ज किए गए।

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) द्वारा जारी रियल-टाइम अर्थक्वेक लोकेशन रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 में अब तक कुल 304 भूकंपों का पता लगाया गया, जिनमें से 152 भारत और उसके आस-पास के क्षेत्रों में थे।

पूरा हिमालयी आर्क अब सबसे ऊँची जोखिम श्रेणी ‘ज़ोन-6’ में

एक बड़े बदलाव के तहत, पूरे हिमालयी क्षेत्र—पूर्वोत्तर से लेकर जम्मू-कश्मीर तक—को पुराने ज़ोन IV और V से अपग्रेड कर नए बनाए गए ‘ज़ोन-6’ में रखा गया है। यह श्रेणी अत्यधिक टेक्टोनिक सक्रियता और बड़े भूकंपों की उच्च संभावना को दर्शाती है।

नई सिस्मिक मैपिंग Probabilistic Earthquake Hazard Assessment (PEHA) पर आधारित है, जिसमें सक्रिय भ्रंश (fault) डेटा, टेक्टोनिक संरचना, संभावित भूकंप की तीव्रता और ज़मीन हिलने की क्षमता को शामिल किया गया है। यह पुराने नक्शों से अलग है, जो केवल ऐतिहासिक क्षति पर आधारित थे।

नई वैज्ञानिक पद्धति का उद्देश्य भारत में भूकंपरोधी निर्माण और डिज़ाइन को और मजबूत करना है।

इंजीनियरों की चेतावनी: सख्त मानकों और बेहतर निर्माण की आवश्यकता

विशेषज्ञों ने कहा कि नए भूकंप जोखिम के अनुसार—

अधिक कठोर भूकंप-डिज़ाइन मानक

बेहतर स्ट्रक्चरल डिटेलिंग

और कठोर निर्माण मानकों के अनुपालन

की आवश्यकता होगी, खासकर तेज़ी से विकसित हो रहे शहरी इलाकों में।

नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि कोई शहर दो श्रेणियों की सीमा पर है, तो उसे स्वतः उच्च जोखिम वाले ज़ोन में रखा जाएगा।

अब लगभग 61% भारतीय भू-भाग को मध्यम से उच्च भूकंप-जोखिम श्रेणी में रखा गया है, जिससे भवन संहिता को अपडेट करना अनिवार्य हो गया है।

देशभर में भूकंप गतिविधियों की निगरानी

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के पास 169 अत्याधुनिक सिस्मोलॉजिकल स्टेशन हैं। पिछले महीने अधिकतर भूकंप—

हिंदूकुश क्षेत्र

उत्तरी भारत (लद्दाख, J&K, हिमाचल, उत्तराखंड)

और पूर्वोत्तर राज्यों

में दर्ज किए गए। मध्य और पूर्वी भारत में गतिविधि कम रही।

IS 1893:2025 — भारत की नई भूकंप सुरक्षा संहिता

नए मानक IS 1893:2025 में अब 4-ज़ोन का सिस्मिक मानचित्र शामिल है, जो भारत की 61% आबादी को कवर करता है। यह बदलाव लगभग एक दशक में भूकंप प्लानिंग के मानकों में सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है।

नई संहिता में शामिल प्रावधान—

वर्टिकल ग्राउंड मोशन

मिट्टी की लचीली प्रकृति (soil flexibility)

लिक्विफैक्शन की संभावना

आर्किटेक्चरल और यूटिलिटी संरचनाओं की सुरक्षा

जैसे कारकों को और मजबूती देते हैं, जो पहले कई जानमाल के नुकसान का कारण बने थे।

BIS ने स्पष्ट किया है कि हर संरचना में भूकंप-रोधी डिटेलिंग अनिवार्य है, चाहे डिज़ाइन में हवा जैसी अन्य शक्तियाँ अधिक प्रभावी क्यों न हों।

उच्च जोखिम वाले क्षेत्र

आठ पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा उच्च जोखिम श्रेणी में अब शामिल हैं—

अंडमान और निकोबार द्वीप

उत्तर बिहार

उत्तराखंड और हिमाचल के उच्च हिमालय क्षेत्र

गुजरात का कच्छ क्षेत्र

जम्मू और कश्मीर के कई हिस्से

Deepak Verma

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