पानी में क्यों उतारा जाता है स्पेसक्राफ्ट, क्या है इसके पीछे का साइंस और लॉजिक?
नासा (NASA) के एस्ट्रोनॉट्स सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर नौ महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद धरती पर लौट आए हैं। सुनीता और बुच ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से एलन मस्क की स्पेस X के कैप्सूल से दो अन्य एस्ट्रोनॉट्स के साथ वापसी की है। भारतीय समय के अनुसार, सुनीता और बुच का क्रू ड्रैगन स्पेस क्रॉफ्ट 17 घंटे की जर्नी के बाद धरती पर आया है। जिसकी लैंडिंग फ्लोरिडा के तट पर पानी में हुई है, जिसे विज्ञान की भाषा में स्पलैशडाउन कहा जाता है।

नासा (NASA) के एस्ट्रोनॉट्स सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर नौ महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद धरती पर लौट आए हैं। सुनीता और बुच ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से एलन मस्क की स्पेस X के कैप्सूल से दो अन्य एस्ट्रोनॉट्स के साथ वापसी की है। भारतीय समय के अनुसार, सुनीता और बुच का क्रू ड्रैगन स्पेस क्रॉफ्ट 17 घंटे की जर्नी के बाद धरती पर आया है। जिसकी लैंडिंग फ्लोरिडा के तट पर पानी में हुई है, जिसे विज्ञान की भाषा में स्पलैशडाउन कहा जाता है।
सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर के स्पेसक्राफ्ट के स्पलैशडाउन के बाद हर किसी के मन में यह सवाल है कि आखिर एस्ट्रोनॉट्स का विमान पानी में क्यों उतरा गया, धरती पर क्यों नहीं। इसी का जवाब हम यहां लेकर आए हैं, दरअसल, स्पेसक्राफ्ट यानी अंतरिक्ष विमान पानी या समुद्र में उतारने के पीछे लॉजिक होता है जिसे अहम माना जाता है। आइए, यहां जानते हैं स्पेसक्राफ्ट पानी में उतारने यानी स्पलैशडाउन क्या होता है और इसे क्यों NASA ने चुना।
स्पलैशडाउन क्या होता है?
अंतरिक्ष यानी स्पेस से जब कोई विमान आता है, तो उसे पैराशूट की मदद से पानी में लैंड कराया जाता है। इसी प्रक्रिया को स्पलैशडाउन कहा जाता है। अब स्पलैशडाउन क्यों किया जाता है, यह जानते हैं। दरअसल, जब स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो उसकी स्पीड हजारों किमी प्रति घंटा में होती है। हाई स्पीड की वजह से फ्रिक्शन से अत्यधिक गर्मी पैदा होती है, जिससे स्पेसक्राफ्ट को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में स्पेसक्रॉफ्ट को स्पेशल हीट शील्ड से सुरक्षित किया जाता है। वायुमंडल में प्रवेश के बाद स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को कम करने के लिए पैराशूट का इस्तेमाल किया जाता है।
पानी में क्यों उतरता है स्पेसक्राफ्ट?
स्पेसक्राफ्ट पानी में उतरने के पीछे साइंस और लॉजिक दोनों हैं। स्पेसक्राफ्ट पानी में इसलिए उतारा जाता है क्योंकि, पानी एक नेचुरल कुशन का काम करता है। जी हां, स्पेसक्राफ्ट जब पानी में उतरता है, तो उसे जमीन की तुलना में कम झटका लगता है। इससे अंतरिक्ष यात्रियों यानी एस्ट्रोनॉट्स और स्पेसक्राफ्ट दोनों को कम नुकसान होता है। पानी में उतरने से स्पेसक्राफ्ट और उसके उपकरणों को भी कम नुकसान होता है। यही वजह है कि नासा, स्पेस एक्स और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां पानी या समुद्र में स्पलैशडाउन कराती हैं।
स्पेसक्राफ्ट के पानी में उतरने के फायदे और नुकसान

पानी में स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग का सबसे बड़ा यह फायदा है कि उसकी सतह सामान्य और सुरक्षित होती है। वहीं जमीन पर पहाड़, ढलान या उबड़-खाबड़ होने की वजह से दुर्घटना हो सकती है। ऐसा नहीं है कि स्पलैशडाउन के नुकसान नहीं हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंतरिक्ष यात्री माइकल लोपेज एलेग्रिया का कहना है कि जमीन पर लैंडिग ज्यादा सुरक्षित हो सकती है। क्योंकि, अगर जमीन उबड़ खाबड़ भी है तो पैराशूट की मदद से बाहर निकला जा सकता है। वहीं, पानी में गड़बड़ी होने पर बाहर निकलने में मुश्किल हो सकती है।