धर्म

ईसाइयों के सबसे बड़े धर्म गुरु- पोप फ्रांसिस का निधन

पोप फ्रांसिस का 88 साल की आयु में निधन हो गया है. ईस्टर संडे के अगले दिन सुबह 7:35 बजे उनका निधन हो गया

पोप फ्रांसिस का 88 साल की आयु में निधन हो गया है. ईस्टर संडे के अगले दिन सुबह 7:35 बजे उनका निधन हो गया. पोप पिछले कई दिनों से गंभीर तौर पर बीमार थे. उनका जन्म 17 दिसंबर 1936 को हुआ था. फ्रांसिस कैथोलिक कम्युनिटी के 266वें पोप चुने गये थे. पोप फ्रांसिस प्रथम को 13 मार्च 2013 को पोंटिफ के रूप में चुना गया.

कौन थे पोप फ्रांसिस?

जॉर्ज मारियो बर्गोलियो का जन्म 17 दिसंबर, 1936 को अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में हुआ था. उन्होंने हाई स्कूल से केमिकल टेक्नीशियन की डिग्री प्राप्त की और मार्च 1958 में जेसुइट संप्रदाय (Jesuit Novitiate) में प्रवेश लिया. अपनी धार्मिक शिक्षा के दौरान, उन्होंने 1960 के दशक के मध्य में जेसुइट स्कूलों में साहित्य और मनोविज्ञान पढ़ाया. वे 13 दिसंबर, 1969 को पादरी (प्रिस्ट) नियुक्त किए गए.

1973 में उन्हें अर्जेंटीना में जेसुइट प्रांत का प्रमुख नियुक्त किया गया. 1992 में पोप जॉन पॉल द्वितीय ने उन्हें ब्यूनस आयर्स का सहायक बिशप बनाया. 1997 में वे कोअज्यूटर आर्कबिशप (Coadjutor Archbishop) बनाए गए और 1998 में आर्चडायोसीज (Archdiocese) के प्रमुख बने. तीन साल बाद, सेंट जॉन पॉल ने उन्हें कार्डिनल की उपाधि दी.

13 मार्च, 2013 को, 76 साल की आयु में, वे पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के उत्तराधिकारी चुने गए और उन्होंने “फ्रांसिस” नाम अपनाया.

क्या रहा सफर?

पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में एक अंतरराष्ट्रीय कार्डिनल पैनल नियुक्त किया — जिसमें बोस्टन के कार्डिनल सीन पी. ओ’माले भी शामिल थे — जिसका मकसद चर्च प्रशासन में सुधार करना था. इस पैनल की सिफारिशों पर, वेटिकन में आर्थिक मामलों के लिए एक काउंसिल और सचिवालय, कम्युनिकेशन के लिए सचिवालय और बाल सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक आयोग स्थापित किया गया.

पद ग्रहण करने के आठ महीने बाद, पोप फ्रांसिस ने “द जॉय ऑफ द गॉस्पेल” नामक प्रेरणादायक पत्र प्रकाशित किया. इसमें उन्होंने अपनी पापीसी और चर्च की दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाया.

इस दस्तावेज में उन्होंने कैथोलिकों से आग्रह किया कि वे उत्साह और जीवंतता के साथ दुनिया में जाएं और अपनी आस्था को प्रेम, आनंद और सेवा के माध्यम से जीवित रूप में प्रस्तुत करें. उन्होंने कहा, “एक सच्चा प्रचारक ऐसा कभी न दिखे मानो वह अभी-अभी किसी अंतिम संस्कार से लौटा हो.”

क्यूबा और अमेरिका की यात्रा, पोप फ्रांसिस की पापीसी की 10वीं विदेश यात्रा थी, और यह उनके जीवन में पहली बार था जब उन्होंने अमेरिका की यात्रा की.

यह यात्रा कई महत्वपूर्ण घटनाओं से भरे साल में हुई — जून में पर्यावरण पर उनका विश्वप्रसिद्ध दस्तावेज “लौदातो सी” का प्रकाशन, अक्टूबर में पारिवारिक मुद्दों पर विश्व बिशप सभा और 8 दिसंबर को “वर्ष misericordia (Year of Mercy)” की शुरुआत।

Deepak Verma

Related Articles

Back to top button