मेघालय में जंपिंग स्पाइडर की दो नई प्रजातियों की खोज, जैव विविधता को मिली नई पहचान

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (Zoological Survey of India–ZSI) के दो वैज्ञानिकों ने मेघालय में जंपिंग स्पाइडर (Salticidae) की दो नई प्रजातियों की पहचान की है।
वैज्ञानिक पुथूर पट्टम्मल सुधीन और सौविक सेन ने इन प्रजातियों—Asemonea dentis और Colyttus nongwar—का वर्णन अपनी शोध अध्ययन में किया है, जो पशु वर्गीकरण पर आधारित प्रतिष्ठित सहकर्मी-समीक्षित जर्नल Zootaxa के नवीनतम अंक में प्रकाशित हुआ है।

इस खोज के साथ भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में ज्ञात जंपिंग स्पाइडर प्रजातियों की संख्या बढ़कर 45 हो गई है। पूरे देश में साल्टिसिडी (Salticidae) परिवार की कुल 282 से अधिक प्रजातियाँ दर्ज हैं। यह मकड़ियों का सबसे बड़ा परिवार है, जो अपनी तेज़ दृष्टि, फुर्ती और जाल बुनने की बजाय सटीक छलांगों से शिकार करने के लिए जाना जाता है।
Asemonea dentis भारत में Asemonea वंश की तीसरी ज्ञात प्रजाति है। इसका नाम नर मकड़ी के पल्पल फीमर पर मौजूद दाँत जैसी संरचना से लिया गया है, जो पहचान में सहायक एक विशिष्ट शारीरिक लक्षण है। अध्ययन के अनुसार, इस प्रजाति के नर हरे-भूरे रंग के होते हैं और उनके पेट पर हल्के पीले रंग का V-आकार का पैटर्न होता है, जबकि मादाओं का शरीर क्रीमी सफेद होता है, जिस पर गहरे काले निशान पाए जाते हैं।
वहीं Colyttus nongwar दुर्लभ रूप से दर्ज किए गए Colyttus वंश की भारत में दूसरी प्रजाति है। इसका नाम मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के नॉन्गवार गांव के नाम पर रखा गया है, जहां यह पाई गई। इस प्रजाति के नर और मादा दोनों का कैरापेस अंडाकार और लाल-भूरे रंग का होता है, जबकि पेट हल्का भूरा होता है, जिसके आगे क्रीमी सफेद पट्टी और उसके बाद पाँच स्पष्ट चेवरॉन (V-आकार) जैसे निशान होते हैं।
वैज्ञानिक डॉ. सौविक सेन ने कहा, “ये खोजें उत्तर-पूर्व भारत की असाधारण जैव विविधता की सिर्फ एक झलक हैं। यहां बहुत कम व्यवस्थित सर्वेक्षण हुए हैं और निस्संदेह अभी कई और प्रजातियाँ खोजे जाने की प्रतीक्षा में हैं।”
ZSI की निदेशक धृति बनर्जी ने व्यापक वैज्ञानिक अन्वेषण की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “इस तरह की खोजें उत्तर-पूर्व में बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण की अहमियत को रेखांकित करती हैं। मेघालय के जंगल, पवित्र उपवन और चट्टानी क्षेत्र अनमोल पारिस्थितिक धरोहर हैं, जिनका संरक्षण बेहद ज़रूरी है।”



