मेघालय में ‘जादू-टोना विरोधी कानून’ लाने की मांग — पॉल लिंगदोह ने की अपील
क्योंकि इस तरह की अंधविश्वासी प्रथाएं, जो परंपराओं में गहराई से जड़ें जमाए हुए हैं

मेघालय के सामाजिक कल्याण विभाग के सलाहकार पॉल लिंगदोह ने राज्य में हाल ही में हुई जादू-टोने के आरोपों से जुड़ी हिंसक घटनाओं को देखते हुए ‘एंटी-विचक्राफ्ट कानून’ (Anti-Witchcraft Law) लागू करने की मांग की है।
मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में लिंगदोह ने कहा कि यह मामला कानून विभाग के गंभीर विचार का विषय है, क्योंकि इस तरह की अंधविश्वासी प्रथाएं, जो परंपराओं में गहराई से जड़ें जमाए हुए हैं, कानून के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं हैं।
“यह मामला कानून विभाग को गंभीरता से देखना होगा। एक ओर ये विश्वास हमारे पुराने रीति-रिवाजों का हिस्सा हैं, लेकिन दूसरी ओर ये कानून की भावना और उसके प्रावधानों के खिलाफ जाते हैं,” उन्होंने कहा।
उनकी यह टिप्पणी उस समय आई जब ईस्ट खासी हिल्स जिला में जादू-टोने के आरोपों पर भीड़ द्वारा की गई हिंसा की कई घटनाओं ने राज्य में चिंता बढ़ा दी है।
😠 दो हालिया मामले बने चिंता का कारण
दो हालिया घटनाएँ — एक काइनरॉह नोंगब्री गांव में और दूसरी ख्लिएहश्नोंग (सोहरा) में — धार्मिक नेताओं, नागरिक संगठनों और जनता द्वारा कड़ी निंदा का कारण बनी हैं। सभी ने संयम बरतने और इस विषय पर जन-जागरूकता बढ़ाने की अपील की है।
लिंगदोह ने कहा कि ऐसे मामलों की संख्या वर्षों में भले ही कम हुई हो, लेकिन राज्य इस खतरे को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता।
“अगर ज़रूरत महसूस होती है, तो राज्य सरकार और स्वायत्त जिला परिषदें (ADCs) मिलकर इस विषय पर विशेष कानून बना सकती हैं,” उन्होंने कहा।
“यह कानून या तो राज्य सरकार ADCs से परामर्श करके बनाए, या फिर ADCs खुद विधेयक पारित कर राज्यपाल की मंजूरी ले सकते हैं।”
🚨 ख्लिएहश्नोंग मामला — पुलिस ने रोकी सामूहिक हत्या
ख्लिएहश्नोंग, सोहरा में हाल ही में एक 200 लोगों की भीड़ ने हम शांगप्लियांग नामक व्यक्ति के घर पर हमला कर दिया। यह हमला एक नाबालिग लड़के के आरोप के आधार पर हुआ, जिसने दावा किया था कि उस व्यक्ति ने उस पर जादू-टोना किया है।
पुलिस ने टियर गैस और स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल कर 22 लोगों (जिनमें बच्चे भी शामिल थे) को सुरक्षित निकाला।
इस घटना में 8 पुलिसकर्मी घायल हुए और 9 हमलावरों को गिरफ्तार किया गया।
लिंगदोह ने पुलिस की तत्परता की सराहना करते हुए कहा,
“पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और लगभग 30 लोगों की जान बचाई, जिन्हें भीड़ मार सकती थी।”
उन्होंने बताया कि सामाजिक कल्याण विभाग ने तुरंत हस्तक्षेप कर प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
“हमने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की। मुझे खुशी है कि पीड़ित परिवार अब अपने घर लौट आया है,” उन्होंने जोड़ा।
🧙♀️ काइनरॉह नोंगब्री मामला — मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति पर हमला
अक्टूबर 2025 में काइनरॉह नोंगब्री गांव (मावफ्लांग के पास) में भीड़ ने एक 35 वर्षीय मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति, अर्निकस्टार रिंताथियांग, पर हमला कर दिया।
उसे ‘मेंशोह्नोह’ या ‘आई क्सुइद’ (जादू-टोना करने वाला) कहकर पीटा गया — यह विश्वास खासी पहाड़ियों में गहराई से फैला अंधविश्वास है।
स्पेशल ऑपरेशन टीम (SOT) और डीएसपी (ऑपरेशंस) की त्वरित कार्रवाई से व्यक्ति की जान बचाई जा सकी। अधिकारियों का कहना है कि यह संभावित लिंचिंग (भीड़ हत्या) हो सकती थी यदि समय रहते हस्तक्षेप न किया जाता।
⚠️ राज्य के लिए चेतावनी
मेघालय में जादू-टोने के आरोपों से जुड़ी हिंसा, हमले और हत्या के मामले लगातार चिंता का विषय बने हुए हैं।
विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में फैले इन अंधविश्वासों और सामाजिक मान्यताओं के कारण प्रशासन को कानून लागू करने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।


