मेघालय

मेघालय के खासी जैंतिआ हिल्स में चल रही सरकारी और निजी परियोजनाओं का कार्य लगभग बंद होने के कगार पर है |

और कुछ छोटे निर्माण कार्य तो बंद ही हो चुके है क्योंकि दबाव समूहों द्वारा चलाए गए दस्तावेज़ जांच अभियान के मद्देनजर बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों ने कथित तौर पर राज्य छोड़ दिया है।

शिलांग, 17 जुलाई: मेघालय के खासी जैंतिआ हिल्स में चल रही परियोजनाओं का कार्य लगभग बंद होने के कगार पर है और कुछ छोटे निर्माण कार्य तो बंद ही हो चुके है क्योंकि दबाव समूहों द्वारा चलाए गए दस्तावेज़ जांच अभियान के मद्देनजर बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों ने कथित तौर पर राज्य छोड़ दिया है। हालांकि, राज्य छोड़कर अपने गृहनगर जाने वाले श्रमिकों की सही संख्या का पता नहीं लगाया जा सका है, लेकिन अधिकारियों को डर है कि यह संख्या राज्य भर में चल रही सड़क परियोजनाओं को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त है। राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया | वही जो खासी हिल्स के रीभोई में जो छोटी उद्योग चल रहे थे सूत्रों के मुताबिक वह सभी लगभग प्रवासी कर्मचारियों के चले जाने के कारण लगभग बंद होने के कगार पर है या बंद हो चुके है |

वही दुशरे तरफ मेघालय के उपमुख्यमंत्री स्नियावभलंग धर ने बताया कि वर्क परमिट सिस्टम के मुद्दे पर असमंजस को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा की विभिन्न दबाव समूहों के नेताओं के साथ बैठक प्रस्तावित है। बुधवार को यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए धर ने कहा कि उन्हें अनौपचारिक रूप से बताया गया है कि दबाव समूहों के नेताओं ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा है। धर ने कहा, “हम विभिन्न दबाव समूहों द्वारा व्यक्त की गई विभिन्न चिंताओं का समाधान करने के लिए तैयार हैं। मुझे उम्मीद है कि दबाव समूहों के नेताओं के साथ मुख्यमंत्री की बैठक से मौजूदा गतिरोध समाप्त हो जाएगा।

उन्होंने दबाव समूहों के नेताओं से संयम बरतने का आग्रह किया क्योंकि राज्य को प्रवासी श्रमिकों की जरूरत है जो काम स्थानीय श्रमिक नहीं कर सकते। उपमुख्यमंत्री ने कहा, “हमें राज्य की बेहतरी और समग्र विकास के लिए मिलकर काम करना चाहिए।” एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वर्क परमिट की जांच के लिए चल रहे निष्कासन अभियान का निश्चित रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि कई प्रवासी श्रमिक राज्य छोड़ देंगे। धर ने कहा कि इस तरह के विकास का निश्चित रूप से सरकारी और निजी दोनों परियोजनाओं पर असर पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि केएसयू और अन्य दबाव समूहों द्वारा चलाए गए दस्तावेज़ जांच अभियान के मद्देनजर बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों ने कथित तौर पर राज्य छोड़ दिया है।

मेघालय छोड़ चुके प्रवासी श्रमिकों के राज्य छोड़ने के कारण उनकी कुछ परियोजनाओं का काम प्रभावित होगा। अधिकारी के अनुसार, बाहर से शायद ही कोई मजदूर अब मेघालय में आकर काम करना चाहता हो। कुछ श्रमिकों ने मीडिया से बात करते हुए कहा की उन्हें यहाँ की इस्तिथि मालूम नहीं थी नहीं तो वह कभी नहीं आते उनसे जब पूछा गया की ज्यादा पैसे मिले और वर्क परमिट मिले तो क्या वह दोबारा यहाँ काम करना चाहेंगे तो ज्यादा तर श्रमिकों का एक ही जवाब था जी नहीं हमें ज्यादा पैसे भी नहीं चाहिए और न ही वर्क परमिट क्योकि हमें यहाँ काम ही नहीं करना किस बात की वर्क परमिट यह भारत है कोई भी भारतीय भारत के किसी राज्य में काम कर सकता है हमारे लिए पूरा देश खुला है हम कही भी काम मिल जाएगा हमें काम नहीं करना मेघालय में

Deepak Verma

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