Journal of Defence

अर्ध सैनिक बलों में बढ़ती आत्म हत्या के मामलो को रोकने के लिए गृह मंत्रालय को कोई ठोस कदम उठाने की जरुरत है |

ताकि जवान अपने साथ हो रहे अत्याचार को सीधे गृह मंत्रालय या बल के मुख्यालय तक पंहुचा सके और भ्रस्ट अधिकारियो पर करवाई हो सके

शिलांग :बीते कुछ सालों में ही जवानों ने सबसे अधिक खुदकुशी की है। केंद्र सरकार के खुद के ही आंकड़ों से ये बात सामने आई है कि पिछले कुछ सालों में देश की सुरक्षा में लगे जवानों में आत्महत्या की दर बढ़ी है। बता दें कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ, एनएसजी और असम राइफल्स (ए आर) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड जैसे बल शामिल हैं। कुल मिलाकर इन बलों के पास नौ लाख कर्मी हैं। हैरानी की बात ये है कि पिछले साल हर दूसरे दिन इन केंद्रीय बलों में कोई न कोई आत्महत्या का केस सामने आया है, जो कहीं न कहीं एक खबर बनने के बाद नजरअंदाज कर दिया गया है

जवानों की आत्महत्या के पीछे क्या कारण हैं?

जवानों की आत्महत्या के पीछे सरकार घरेलू समस्याओं, बीमारी और वित्तीय समस्याओं को कई कारणों में मानती है। हालांकि गृह मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति इन आत्महत्याओं के पीछे मानसिक और भावनात्मक तनाव को भी वजह मानती है। वहीं पूर्व अफसरों और जानकारों का कहना है कि जवानों पर वर्कलोड ज्यादा है। कई स्थानों पर जवानों को 12 से 15 घंटे तक ड्यूटी देनी पड़ती है। कड़ी कामकाजी परिस्थितियों, पारिवारिक मुद्दों और जरूरत होने पर छुट्टी न मिल पाना भी जवानों को मानसिक तनाव की ओर ढ़केलता है। परन्तु इन सब कारणों के आलावा भी एक और बड़ी कारण यह है की जवानो को अपने बड़े अधिकारियो की भी प्रतारणा का शिकार होना पड़ता है और उनके खिलाफ वह कोई शिकायत भी नहीं कर सकते जिसके कारण उन्हें आत्म हत्या जैसे भयानक कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ता है |

हाल ही में हुए कुछ घटनाओ ने इस तथ्य को उजागर किया है जिसमे मेरठ में सीआरपीएफ के जवान ने पत्नी और बेटी के साथ आत्महत्या करने की कोशिश की . आत्महत्या की करने की वजह सीआरपीएफ महिला अधिकारी के टॉर्चर से परेशान होना बताया गया था इस तरह की बहुत सी घटनाए सामने आरही है परन्तु दुखद बात यह है की घटना घटित होने के बाद यह खबरे सामने आती है परन्तु इस घटना के जिम्मेदार अफसरों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई होती है या होती भी है या नहीं इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पाती |

देश के यह जवान जो घर परिवार छोड़ कर देश की सुरक्षा में लगे हुए है उनपर क्या तनाव होता है यह हम नहीं जान पाते उपर से बड़े अधिकारियो की प्रतारणा का शिकार होना पड़ता है जिसकी वह शिकायत भी नहीं कर सकते क्युकी उनपर प्रतारणा और बढ़ जाएगा अंत वह अपना जीवन ही समाप्त कर लेते है इसे रोकने के लिए गृह मंत्रालय को कोई ठोस कदम उठाने की जरुरत है ताकि जवान अपने साथ हो रहे अत्याचार को सीधे गृह मंत्रालय या बल के मुख्यालय तक पंहुचा सके और भ्रस्ट अधिकारियो पर करवाई हो सके और जवानो को अत्याचारों से मुक्क्ती मिल सके तभी इन जवानो के प्रति गृह मंत्रालय की सही जवाब देही होगी

Deepak Verma

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