पाकिस्तान का परमाणु कमांड चंद सेकंड में हो जाता तबाह, मिसाइल हमले ने मचाया कहर
इस बेस पर मिसाइल गिरते ही पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक खलबली मच गई।

भारत का पाकिस्तान पर अप्रत्याशित हमला – नोूर खान एयरबेस बना निशाना
शनिवार को भारत ने पाकिस्तान पर एक ऐसा हमला किया, जिसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी। इस सैन्य कार्रवाई में भारतीय बलों ने पाकिस्तान के कई महत्वपूर्ण एयरबेस को निशाना बनाया, जिनमें सबसे अहम था नूर खान एयरबेस। इस बेस पर मिसाइल गिरते ही पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक खलबली मच गई।
नूर खान एयरबेस न केवल पाकिस्तानी वायुसेना का एक प्रमुख केंद्र है, बल्कि यही स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिवीजन का मुख्यालय भी है—वह इकाई जो पाकिस्तान के लगभग 170 परमाणु हथियारों की सुरक्षा और लॉन्च की जिम्मेदारी संभालती है।
हमले के तुरंत बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) की आपात बैठक बुलाई। यह संस्था देश के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर अंतिम निर्णय लेती है।
अमेरिका में मचा हड़कंप
इस हमले की खबर लगते ही अमेरिका में हलचल तेज हो गई। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, जो पहले इस संघर्ष को अमेरिका का मामला नहीं मान रहे थे, उन्होंने तुरंत भारत में कूटनीतिक संपर्क साधना शुरू किया।
रिपोर्ट के मुताबिक वेंस ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर यह चिंता जताई कि यह संघर्ष पूर्ण युद्ध में बदल सकता है। साथ ही, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से संपर्क किया और भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से भी बात की।
भारत का स्पष्ट संदेश
भारत की इस कार्रवाई को एक रणनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि नूर खान एयरबेस के पास स्थित परमाणु कमान केंद्र को नष्ट न करना यह दर्शाता है कि भारत के पास यह क्षमता तो है, लेकिन उसने अब तक संयम बरता है।
एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने बयान दिया कि भारत की यह कार्रवाई संकेत हो सकती है कि वह पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं को अक्षम करने की स्थिति में है। हालांकि, पाकिस्तान की NCA ने अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन वैश्विक स्तर पर चिंता स्पष्ट तौर पर देखी जा रही है।
संवाद की संभावना
इस बीच, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि कश्मीर, सिंधु जल संधि और आतंकवाद जैसे मुद्दे भारत के साथ बातचीत का हिस्सा बन सकते हैं। दोनों देशों के बीच चार दिन तक चले संघर्ष के बाद, अब ज़मीन, हवा और समुद्र—तीनों मोर्चों पर तत्काल संघर्ष विराम की सहमति बनी है।