धर्म

शिलांग के रिलबोंग स्थित ज्ञान विला आश्रम में सोमनाथ शिवलिंग के दर्शन—श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़, मंत्री संबोर शूलाई भी पहुंचे”

आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने कुछ दिनों पहले एक दावा किया था. उन्होंने कहा था कि करीब 1000 साल पहले साल 1026 में भारत पर आक्रमण करने वाला गजनवी साम्रज्य का तुर्क शासक महमूद गजनी ने जिस सोमनाथ मंदिर को खंडित कर दिया था और मंदिर में स्थापित शिवलिंग को तोड़ दिया था, अब वह शिवलिंग उन्हें मिल चुका है. बहुत जल्द इस शिवलिंग को देश के सभी ज्योतिर्लिंगों में ले जाया जाएगा जहां शिवभक्त इसका दर्शन कर सकेंगे. अंत मे इस शिवलिंग को सोमनाथ मंदिर में पुनर्स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री से विचार करके योजना तय की जाएगी

आज शुक्रवार को शिलांग के रिलबोंग स्थित ज्ञान विला आर्ट ऑफ़ लिविंग आश्रम में इस शिवलिंग को आमजन के दर्शन के लिए रखा गया, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिवलिंग की पूजा अर्चना की. शिवलिंग का दर्शन करने आए मेघालय सरकार के कला और संस्कृति मंत्री संबोर शूलाई भी पहुंचे |

श्री श्री रविशंकर ने कहा, जब 1000 साल पहले इस शिवलिंग को तोड़ा गया था तब इसका आकार ऐसा नहीं था जैसा अभी है. दरअसल 2007 में इस टूटे हुए शिवलिंग की री-शेपिंग करके इसे गोलाकार किया गया था ताकि यह शिवलिंग जैसा दिखे. श्री श्री रविशंकर के अनुसार 1026 में जब सोमनाथ मंदिर समेत इस शिवलिंग को खण्डित किया गया था तब दक्षिण भारत के रहने वाले कुछ अग्निहोत्री ब्राह्मण परिवार जो उस वक्त मंदिर में पूजा कार्य करते थे, उन्होंने शिवलिंग को छुपाकर अपने पास रख लिया और उनकी पीढ़ियां तब से लगातार इस शिवलिंग की पूजा करते रहे.

 

दावे में और क्या?
श्री श्री के दावे के अनुसार 100 साल पहले 1924 में उसी अग्निहोत्री परिवार के एक सदस्य ने इस शिवलिंग की जानकारी कांची पीठ के शंकराचार्य चंद्रशेखरन सरस्वती को दी. शंकराचार्य ने अग्निहोत्री परिवार को निर्देश दिया कि 100 साल तक यह बात किसी को न बताएं, जब भारत मे राम मंदिर का निर्माण हो जाएगा तब बेंगलुरु शहर के एक आध्यात्मिक गुरु को यह शिवलिंग को सौंप दें

Deepak Verma

Related Articles

Back to top button