मेघालय के दबाव संगठन के कारनामे के चलते मेघालय का पर्यटन उधोग औधे मुँह गिरा
वही आग में घी डालने का काम मेघालय के उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन तिनसॉन्ग के बयान ने कर दिया जिसमे तिनसॉन्ग ने अमेरिका द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक परामर्श के जवाब में तिनसॉन्ग ने एक नकारात्मक टिप्पणी,कर दी
मेघालय पुलिस ने पर्यटकों को राज्य में आने से रोकने के आरोप में आईएलपी के 10 समर्थकों को गिरफ्तार तो किया है। परन्तु इन टुटपुँजिये दबाव समूहों की एक गलती के कारण मेघालय के पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है और यह नुकसान और ज्यादा भी बढ़ सकता है | पुलिस का कहना है कि आरोपियों के कारण कुछ समय के लिए असम से मेघालय आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आ गई है । वही पर्यटन उधोग से जुड़े संगठनों में भी भारी गुस्सा और आक्रोश देखा जा रही है इन टुटपुँजिये दबाव समूहों के खिलाफ |
हलाकि मेघालय सरकार और प्रशासन ने डैमेज कण्ट्रोल करने की बहुत कोसिस कर रही है बावजूद इसके मामला थमता नजर नहीं आरहा क्योकि शोशल मीडिया में आईएलपी के समर्थकों द्वारा पर्यटकों को राज्य में आने से रोकने का विडिओ तेजी से आग की तरह फ़ैल गया वही असम और देश के न्यूज़ चैनलों ने इसे और बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जिसके कारण मेघालय आने वाले पर्यटकों ने अपनी बुकिंग कैंसल कर दी |
वही आग में घी डालने का काम मेघालय के उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन तिनसॉन्ग के बयान ने कर दिया जिसमे तिनसॉन्ग ने अमेरिका द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक परामर्श के जवाब में तिनसॉन्ग ने एक नकारात्मक टिप्पणी,कर दी की “मुझे परवाह नहीं है”, ने सोशल मीडिया पर आलोचनाओं की झड़ी लगा दी है। सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने तिनसॉन्ग के बयान की व्यापक रूप से निंदा की है, जिसमें सुरक्षा संबंधी चिंताओं और पर्यटन पर संभावित प्रभाव को संबोधित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए गए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा जारी किए गए परामर्श में अपने नागरिकों से मेघालय की यात्रा पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया है, जिसमें क्षेत्र में छिटपुट हिंसा का हवाला दिया गया है।
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर नेटिज़न्स ने तिनसॉन्ग के बयान के निहितार्थों पर प्रकाश डालते हुए अपनी असहमति व्यक्त की। एक उपयोगकर्ता ने टिप्पणी की, “उपमुख्यमंत्री का बयान चिंताएँ पैदा करता है। यात्रा पर पुनर्विचार करने के लिए अमेरिकी यात्रा परामर्श की सिफारिश एक विवेकपूर्ण सावधानी है। यात्री फ्लाइट, होटल और परिवहन की बुकिंग का जोखिम क्यों उठाएँगे, जब स्थानीय उपद्रवी, एनजीओ के रूप में मुखौटा लगाकर, उनकी योजनाओं को बाधित कर सकते हैं? यह स्थिति संभावित आगंतुकों से गंभीर विचार की मांग करती है।” एक अन्य उपयोगकर्ता ने पर्यटन पर निर्भर क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पर जोर देते हुए कहा, “लोगों को जागने और इन संभावित परिणामों को पहचानने का समय आ गया है। फिर पर्यटन को बढ़ावा न दें।
यह न भूलें कि अगर शिलांग में पर्यटन समाप्त हो जाता है, तो डॉकी, लैटलम और चेरापूंजी आदि स्थानों के निर्दोष लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे।” आलोचना तिनसॉन्ग की कथित जिम्मेदारी की कमी तक बढ़ गई, जिसमें एक टिप्पणीकार ने लिखा, “पर्यटन उद्योग के अधिक विकास के लिए पर्यावरण की बेहतरी के बारे में बोलने के बजाय उन्होंने बहुत गैरजिम्मेदाराना तरीके से बात की है। यह आश्चर्यजनक है कि जब इतना वरिष्ठ सम्मानित व्यक्ति इस भाषा में बोल सकता है, तो युवा पीढ़ी से क्या उम्मीद की जा सकती है जो सही या गलत के बारे में गहराई से सोचने में असमर्थ हैं।” एक अन्य उपयोगकर्ता ने आर्थिक प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “भारत का एक खूबसूरत राज्य (मेघालय); जो विकास के लिए पर्यटन पर निर्भर करता है। इसे एक आँख खोलने वाली बात के रूप में लें और इसके बारे में बहुत समझदारी से काम लें।
उन्हें इसकी परवाह नहीं है क्योंकि यह उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्रभावित नहीं करता है।” कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने स्थानीय व्यवसायों के लिए संभावित परिणामों पर भी प्रकाश डाला, आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकारी कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। “लेकिन आपको प्रिय मंत्री जी की परवाह करनी चाहिए। पर्यटन व्यवहार्य उद्योगों में से एक है। बढ़ती बेरोजगारी और विश्वविद्यालय के स्नातकों की बढ़ती संख्या के साथ, क्या आप पर्याप्त रोजगार के अवसर दे सकते हैं? मंत्रियों को परिपक्व लोगों की आवश्यकता है,” एक उपयोगकर्ता ने लिखा। कुछ लोगों ने अंतरराष्ट्रीय चिंताओं के प्रति तिनसॉन्ग के दृष्टिकोण पर सवाल उठाया, एक उपयोगकर्ता ने कहा, “आपका काम अंतरराष्ट्रीय चिंताओं को अनदेखा करना नहीं है, बल्कि उन्हें संबोधित करना है। यह कहना कि पर्यटक अभी भी आ रहे हैं, पर्याप्त नहीं है। हमें कार्रवाई की आवश्यकता है, आत्मसंतुष्टि की नहीं।
वही दूसरे तरफ खासी स्टूडेंट्स यूनियन (KSU) और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और मेघालय में कई जगहों पर असम से आने वाले निजी और व्यावसायिक वाहनों को रोके जाने पर चिंता जताई है। शनिवार को जारी AASU और KSU के संयुक्त बयान में कहा गया है कि NESO के हिस्से के रूप में AASU और KSU ने इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा की है। चारो तरफ से निंदा झेलने के बाद खासी स्टूडेंट्स यूनियन ने इस मामले से अपना हाथ खींचते हुए इसके बारे में कोई जानकारी नहीं होने की बात की क्योकि भले ही इनका हाथ इसमें न हो परन्तु सोशल मीडिया में लोग इन्हे ही जिम्मेदार मान रहे है |
वही एक तरफ सोहरा में पर्यटन उद्योग से जुड़े व्यापारी और लोगो इन संगठनों के खिलाफ बहुत गुस्से में है क्यों की सोहरा में ८० प्रतिसत स्थानीय लोग पर्यटन पर ही आश्रित है चाहे वो कोई दुकानदार हो रेस्टोरेंट हो होमस्टे ,हो या टूर गाइड हो सब के सब पर्यटन के जरिये ही अपना जीविका चलाते है ऐसे में पर्यटकों को आने पर प्रतिबंध से इनका गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच गया है .
दूसरे तरफ मेघालय में पिछले कुछ महीने से दबाब समूहों द्वारा बाहरी मजदूरों के जाँच के दौरान हुई मारपीट से राज्य का इमेज पहले ही धूमिल हो चूका है ऊपर से पर्यटकों को रोका जाना आग में घी डालने जैसा हो गया जिसे assam समेत बाहरी न्यूज़ चैनल बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहे है जिससे मामला और गंभीर हो गया है .
दूसरे तरफ मेघालय सरकार को जवाब देते नहीं बन रहा और उसके मंत्री बेतुके जवाब दे रहे है वही राज्य की कोनराड संगमा सरकार की इन संगठनों पर कुछ चलती नहीं इन संगठनों को न तो सरकार का और न ही कानून का कोई डर है . और संगठनों पर लगाम लगाने में बिलकुल निष्क्रिय है . अगर यही सिलसिला चलता रहा तो मेघालय तो अभी गरीब राज्यों में गिना जाता है मगर जल्द ही दिवालिया घोषित हो जाएगा क्योकि मेघालय में ना ही कोई उद्योग धंधे है और न ही कोई आय का स्रोत और थोड़ा बहुत जो था वह भी अंतिम सांसे गिन रहा है दूसरे तरफ कोई निवेशक जल्दी मेघालय में निवेश करने को तैयार नहीं . पहले कोयले खनन पर मेघालय की आर्थिक वेवस्था टिकी हुई थी जिसपर अब ग्रहण लग चूका है .अगर अभी भी मेघालय सरकार इन संगठनों पर लगाम लगाने पर विफल रहती है तो आने वाला समय मेघालय के लिए बर्बादी का पैगाम लेकर आएगा .