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पाकिस्तान से बस इतनी दूरी पर परमाणु बम तैयार कर रहा था ईरान, सीक्रेट लोकेशन के खुलासे से हड़कंप

ईरान में परमाणु हथियारों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसने न सिर्फ अमेरिका और इजराइल बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है

ईरान में परमाणु हथियारों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसने न सिर्फ अमेरिका और इजराइल बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है.रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान ने पाकिस्तान की सीमा से महज 1300 किलोमीटर दूर एक सीक्रेट न्यूक्लियर साइट तैयार की है. जहां अत्याधुनिक परमाणु हथियारों को विकसित करने का काम लंबे समय से गुप्त रूप से चल रहा है.

सैटेलाइट तस्वीरों और खुफिया दस्तावेजों से जब इस साइट की पहचान हुई, तो दुनियाभर की सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया. यह ठिकाना रंगीन कमान या रेनबो साइट के कोडनेम से जाना जा रहा है और यह ईरान की राजधानी तेहरान से दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित ईवानाकी क्षेत्र में करीब 2,500 एकड़ में फैला हुआ है.

दिखावा कैमिकल फैक्ट्री का, असल में न्यूक्लियर बम की फैक्ट्री

इस रहस्यमयी साइट को आधिकारिक रूप से एक कैमिकल प्लांट के रूप में पंजीकृत किया गया है, जिसका नाम ‘Diba Energy Siba’ बताया गया है. लेकिन असल में, यह एक ये गोपनीय परमाणु हथियार कार्यक्रम का अड्डा है, जिसे ईरान का रक्षा नवाचार संगठन यानी SPND यानी ऑर्गेनाइजेशन ऑफ डिफेंसिव इनोवेशन एंड रिसर्च चला रहा है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इस साइट को ऐसे डिज़ाइन किया गया है कि यह बाहरी दुनिया की नजरों से पूरी तरह से ओझल रहे और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) की निगरानी से बचा रहे.

ट्रिटियम से हाइड्रोजन बम का खतरा

इस साइट का मुख्य उद्देश्य लंबी दूरी तक मार करने वाले परमाणु हथियारों का निर्माण है. खुफिया जानकारी के मुताबिक यहां ट्रिटियम नाम की रेडियोएक्टिव गैस को प्रोसेस किया जा रहा है. ट्रिटियम का इस्तेमाल खासतौर पर हाइड्रोजन बम और इम्प्लोजन-टाइप परमाणु बम जैसे उच्च विध्वंसक हथियारों में किया जाता है. यह गैस परमाणु हथियार की विनाशकारी क्षमता को कई गुना बढ़ा देती है और इसे तैयार करना बेहद जटिल और गोपनीय प्रक्रिया होती है.

रेनबो साइट के अंदर का ढांचा

रेनबो साइट में कुल तीन फैक्ट्री-जैसी यूनिट्स हैं, एक कमांड हेडक्वार्टर और एक हाई-सिक्योरिटी चेकपॉइंट शामिल है. इस इलाके के चारों ओर सेना का कड़ा पहरा है और आम नागरिकों की यहां एंट्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है. ईरान की विपक्षी संस्था NCRI यानी नेशनल काउंसिल ऑफ रेजिस्टेंस ऑफ ईरान के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट 2009 में शुरू किया गया था और 2013 से यहां न्यूक्लियर गतिविधियां पूरी तरह से ऑपरेशनल हो चुकी हैं.

फर्जी कंपनियों की आड़ में छिपाया प्रोजेक्ट

गुप्त ठिकानों को छिपाने और अंतरराष्ट्रीय निगरानी से बचने के लिए ईरान ने कम से कम पांच फर्जी कंपनियां खड़ी की हैं, जो इस न्यूक्लियर बेस को आम व्यापारिक साइट की तरह दिखाने का काम करती हैं. इन कंपनियों के जरिए ईरान ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और जांच से इस साइट को लंबे समय तक छिपाए रखा. इजराइल और अमेरिका के खुफिया सूत्रों का कहना है कि अगर ईरान ने परमाणु समझौते (JCPOA) पर वापस बातचीत शुरू नहीं की, तो अगले कुछ ही हफ्तों में सैन्य कार्रवाई की जा सकती है.

Deepak Verma

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