और कविता

अरे हिंदू अब तो जाग जा

(कविता )कवि - शुभ्रा उज्वल रणजीत यमगर

तू खुद को हिंदू कहता है फिर भी कुंभकरण जैसा सोया है!
क्या तुझे कोई परवा नही? तेरी बहन को कोई आसिफा बना रहा है!
तू यहा अजगर जैसा सोया है
क्या तुझे तेरा धर्म खोना है?
अरे हिंदू अब तो जाग जा!

 

अरे हिंदू अब तो जाग जा!
आज उस राहुल ने तुझे हिंसक कहा है!
उसने तुझपे ये झूठा आरोप लगाया है
कल भी तुम ऐसेही सोते रहना
और अपने धर्म का मजाक उडता देखते ही रहना!
अरे हिंदू अब तो जाग जा!

 

अरे हिंदू अब तो जाग जा!
देख उस मुसलमान को कैसे नित्य नियम से मस्जिद जाता है
और तेरे घर मे मंदिर होकर भी तू से देख तक नही आता है!
वो ख्रिश्चन भी नियम से चर्च जाकर आता है
अरे थोडी तो शर्म कर तू यहा मख्खिया मारता बैठा है!
अरे हिंदू अब तो जाग जा!

 

अरे हिंदू अब तो जाग जा!
एक दिन ऐसा होगा जब तू साँस तक नही ले पायेगा
और अल्लाह के गुण गाने की सिवाय तेरे पास कोई चारा ना होगा
तू सोचेगा मैंने उस वक्त कुछ क्यो नही किया?
पर अभी भी वक्त है
अरे हिंदू अब तो जाग जा!

Deepak Verma

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