मेघालय

मेघालय में मजदूरों के पलायन से केंद्र पोषित इंफ्रा प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ही बंद होने की पूरी सम्भावना

केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत राज्य में कुछ प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का क्रियान्वयन का कार्य ,शुरू होने से पहले ही बंद होने की पूरी सम्भावना है क्योकि कुछ दबाव समूहों द्वारा प्रवासी मजदूरों के दस्तावेजों की चल रही जांच के परिणामस्वरूप 2,500 से अधिक मजदूरों के पलायन के कारण निर्माण कार्य ठप हो चुके है

शिलांग, 24  जुलाई: केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत राज्य में कुछ प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का क्रियान्वयन का कार्य ,शुरू होने से पहले ही बंद होने की पूरी सम्भावना है क्योकि कुछ दबाव समूहों द्वारा प्रवासी मजदूरों के दस्तावेजों की चल रही जांच के परिणामस्वरूप 2,500 से अधिक मजदूरों के  पलायन के कारण निर्माण कार्य ठप हो चुके है |
क्योकि मुख्यमंत्री कोनराड संगमा खुद यह स्वीकार कर चुके है की  केंद्रीय सड़क ओर परिवहन मंत्रालय पहले ही मेघालय के भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के चलते प्रोजेक्ट्स के  क्रियान्वयन में  हो रही देरी से पहले ही नाराज है और अब तो एक समस्या सुलझी नहीं की दुशरी खड़ी  हो गई है। क्योकि दबाव समूहों द्वारा प्रवासी मजदूरों के दस्तावेजों की चल रही जांच के कारण तक़रीबन सभी  मजदूरों के पलायन कर चुके है और जो बचे है वह भी अब पलायन करने वाले है और सबसे मुश्किल वाली बात यह हो गई है की कोई मजदुर अब मेघालय में ज्यादा पैसे देने के बावजूद यहाँ आकर काम करने को तैयार नहीं है |

और अब इस्तिथि पहले जैसी नहीं है अगर केंद्र पोषित इंफ्रा प्रोजेक्ट अगर समय पर पूरा नहीं हुआ तो फंड वापस चला जाएगा | ज्ञात हो की मेघालय के लिए रेलवे लाइन की विस्तार के लिए जारी फंड को आखिर दूसरे तरफ डाइवर्ट करना पड़ा ,| तो यह तो तै है की मेघालय के सड़क परियोजनाओं और  इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का क्रियान्वयन समय पर पूरा होने वाला नहीं है और यह जाहिर सी बात है की राज्य सरकार को इन परियोजनाओं के लिए केंद्रीय फंड को वापस करना पड़ेगा

जिसके कारण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के  क्रियान्वयन का कार्य   काफी प्रभावित हुआ है। प्रोजेक्ट्स को क्रियान्वित करने वाले कुछ ठेकेदारों के अनुसार, कुछ मामलों में सतर्कता और परिणामी हमले के मद्देनजर लगभग 90% मजदूर राज्य छोड़ चुके हैं।

दबाव समूहों ने कहा कि वे मजदूरों के दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं क्योंकि सरकार मेघालय निवासी सुरक्षा और संरक्षा अधिनियम और इनर लाइन परमिट को लागू करने में विफल रही है।ठेकेदारों ने कहा कि मेघालय में मजदूर हमेशा से आसान लक्ष्य रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्थिति ऐसी हो गई है कि मजदूर मेघालय में वापस आकर काम करने को तैयार नहीं हैं।

खासी छात्र संघ ने लगभग 2,500 प्रवासी मजदूरों को बाहर निकाल दिया क्योंकि कथित तौर पर उनके पास अपनी राष्ट्रीयता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं पाए गए।एक सवाल के जवाब में कुछ ठेकेदारों ने कहा कि बिना जरूरी दस्तावेजों के मेघालय में मजदूरों को लाना लगभग असंभव है, क्योंकि यहां नियम बहुत सख्त हैं। उन्होंने कहा कि मेघालय में काम करने के इच्छुक हर मजदूर को श्रम विभाग में अपना पंजीकरण कराना होता है। उन्होंने कहा कि कुछ अपवाद हो सकते हैं, जब मजदूर पंजीकरण प्रक्रिया को छोड़ देते हैं।

ठेकेदारों ने कहा कि वे आम तौर पर अपने मजदूरों को श्रम विभाग में पंजीकृत करवाते हैं, लेकिन निर्माण स्थलों पर जाने के दौरान दबाव समूह खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (केएचएडीसी) द्वारा जारी किए जाने वाले श्रम लाइसेंस की मांग करते हैं। ठेकेदारों ने कहा कि चूंकि उन्हें राज्य सरकार से पहले ही जरूरी मंजूरी मिल चुकी है, इसलिए केएचएडीसी से वर्क परमिट प्राप्त करने का सवाल ही नहीं उठता। हाल ही में मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा ने स्पष्ट रूप से कहा था कि मजदूरों को केवल श्रम विभाग के संबंधित कानूनों के तहत खुद को पंजीकृत कराना होगा। ठेकेदारों ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है यदि कोई दबाव समूह साइट पर जाकर और प्रबंधकों से मजदूरों के सभी विवरण मांगकर पेशेवर तरीके से मजदूरों के दस्तावेजों की जांच करना चाहता है, लेकिन पहली चीज जो वे करते हैं वह यह है कि वे मजदूरों पर हमला करना शुरू कर देते हैं, जो कि नहीं होना चाहिए। यह स्वीकार करते हुए कि स्थिति चुनौतीपूर्ण हो गई है, उन्होंने कहा कि मानसून का लंबा खिंचना, अत्यधिक ठंड की स्थिति, कड़े नियम और दबाव समूहों के हस्तक्षेप से मेघालय में कोई भी बड़ी कंपनी परियोजनाएं लेने को तैयार नहीं  होगी।

उन्होंने कहा कि विभिन्न चुनौतियों को देखते हुए, एलएंडटी कंस्ट्रक्शन, शापूरजी पल्लोनजी, एनसीसी कंस्ट्रक्शन और सिम्प्लेक्स जैसी बड़ी कंपनियों ने केवल एक परियोजना लेने के बाद मेघालय की ओर कभी मुड़कर नहीं देखा। मेघालय में परियोजनाओं की समय सीमा चूकना आम बात है। हाल के वर्षों में ढाई साल के रिकॉर्ड समय में पूरी होने वाली परियोजनाओं में से एक शिलांग आईटी पार्क है। 47 करोड़ रुपये की इस परियोजना को बद्री राय एंड कंपनी ने कई चुनौतियों के बावजूद लागू किया। दबाव समूह अक्सर स्थानीय मजदूरों को काम पर रखने पर जोर देते हैं, लेकिन ठेकेदारों का कहना है कि उन्हें स्थानीय मजदूरों को काम पर रखना अच्छा लगेगा, लेकिन उनकी भारी कमी है। साथ ही, उन्होंने कहा कि अत्यधिक विशिष्ट कार्यों की देखभाल के लिए कुशल श्रमिक स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) सहित केंद्र सरकार की एजेंसियां भी दबाव समूहों द्वारा मजदूरों के दस्तावेजों की जांच करने और हंगामा करने की हरकत से खुश नहीं हैं। विभिन्न सड़क परियोजनाओं के ठेकेदारों ने एनएचआईडीसीएल को बताया है कि उनके अधिकांश मजदूर असुरक्षा के कारण राज्य छोड़ कर चले गए हैं। इस स्थिति से निश्चित रूप से महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाओं की प्रगति प्रभावित होगी। हाल ही में, मावियोंग क्षेत्र में लोगों के एक समूह ने आधा दर्जन एनएचआईडीसीएल मजदूरों पर हमला किया, जब वे उमियम-शिलांग रोड की मरम्मत में लगे थे।

वही दुसरे तरफ श्रमिकों के आलावा कुछ ठेकेदारों ने कहा कि वे भी अब मेघालय में काम लेने के इच्छुक नहीं है और जो चल रहा है वह किसी तरह पूरा हो जाए और यह मेघालय में उनका अंतिम काम होगा इसके बाद वह और काम नहीं लेंगे

Deepak Verma

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