केंद्र ने BSF चीफ और डिप्टी चीफ को हटाया:होम कैडर भेजे गए; नितिन अग्रवाल कार्यकाल पूरा न करने वाले पहले DG
जम्मू कश्मीर में हो रहे आतंकी घुसपैठ पर रोक न लग पाने के लिए भारत सरकार ने दो अधिकारियों को पद से हटा दिया है. इनमें से एक अधिकारी बीएसएफ प्रमुख हैं, जिनका नाम नितिन अग्रवाल है, जो कि साल 2026 में रिटायर होने वाले थे.
जम्मू कश्मीर में भारत सरकार ने सबसे बड़ा प्रशासनिक एक्शन लिया है, जिसके तहत दो बड़े अधिकारियों को पद से हटा दिया है. सरकार ने ये फैसला जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के घुसपैठ को नाकाम कर पाने के लिए लिया है. पद से हटाए गए अधिकारियों में बीएसएफ के डीजी नितिन अग्रवाल और स्पेशल डीजी वाई बी खुरानिया हैं. वहीं नितिन अग्रवाल 2 साल बाद ही अपने पद से रिटायर होने वाले थे.
नितिन अग्रवाल ने पिछले ही साल जून में ही बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) प्रमुख का पद संभाला था और 2 साल बाद ही यानी 2026 में अपने पद से रिटायर होने वाले थे. अग्रवाल 1989 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. इस पद पर आने से पहले उन्होंने सेंट्रल गवर्नमेंट एजेंसी में कई महत्वपूर्ण पद संभाले हैं
कई पदों पर रह चुके कार्यरत
नितिन अग्रवाल ने दिल्ली में सेंट्रल रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और दिल्ली में सेंट्रल रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) मुख्यालय में एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ ऑपरेशन के रूप में कार्य किया है. इसके अलावा वह केरल में अलग-अलग डिपार्टमेंट में काम और गृह मंत्रालय (MHA) का भी नेतृत्व कर चुके हैं.
सरकार की तरफ से मिले कई अवॉर्ड
नितिन अग्रवाल ने साल 1983 से 1987 में दिल्ली के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक में अपनी मास्टर डिग्री हासिल की है और वहीं से साल 1989 में एम.टेक की डिग्री पूरी की है. इसके अलावा अग्रवाल के पास सोशल साइंस में एम.फिल की डिग्री भी ली है, जो कि पंजाब यूनिवर्सिटी से है. उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से कई सारे अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया है, जिसमें सराहनीय सेवा के लिए साल 2007 में भारतीय पुलिस पदक और विशिष्ट सेवा के लिए 2015 में राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है. अग्रवाल 31 वें BSF प्रमुख थे. उनका जन्म 27 जुलाई 1966 को हुआ.
क्यों हटाया गया पद से ?
जम्मू कश्मीर में पिछले एक साल से लगातार आतंकियों की घुसपैठ हो रही, उसको रोकने में नाकाम होने की वजह से दोनों अधिकारियों को पद से हटाया गया है. जानकारी के मुताबिक, दोनों अधिकारियों ने पिछले एक महीने में पाकिस्तान से सटी हुई, जम्मू कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सीमा और लाइन ऑफ कंट्रोल का दौरा किया था और इसके अलावा कई जरूरी बैठकों का भी हिस्सा रह चुके हैं, इन सभी के बावजूद आतंकी घुसपैठ को प्रभावशाली ढंग से कंट्रोल न होने की वजह से ये फैसला लिया गया है.