राज्य में बाल विवाह और महिला हिंसा पर रोक के लिए SOP तैयार — सामाजिक कल्याण विभाग ने किया प्रस्ताव पेश
स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOPs) का प्रस्ताव तैयार

शिलांग, 12 नवम्बर: राज्य के सामाजिक कल्याण विभाग ने बाल विवाह और महिलाओं व बच्चों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOPs) का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को सौंप दिया है।
मंगलवार को संबंधित हितधारकों के साथ परामर्श बैठक की अध्यक्षता करने के बाद, सामाजिक कल्याण विभाग के सलाहकार पॉल लिंगदोह ने बताया,
“सरकार की कार्ययोजना के तहत हमने प्रस्तावित SOP तैयार कर जमा कर दिया है। इसमें यह देखा गया है कि POCSO कानून और राज्य में हो रहे अल्पवयस्क व किशोर विवाहों के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए — यानी जो प्रथाएं समाज में चल रही हैं और जो कानून में निर्धारित हैं, उनके बीच संतुलन कैसे कायम किया जाए।”
उन्होंने आगे कहा कि यह प्रस्ताव अब राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General) के पास अंतिम राय के लिए भेजा गया है। राय मिलने के बाद इसे सार्वजनिक रूप से जारी किया जाएगा और मेघालय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा, क्योंकि बाल विवाह से जुड़े कई मामले वहां लंबित हैं।
लिंगदोह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में POCSO अधिनियम जैसे कानूनों के बारे में जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती है।
“POCSO जैसे कानूनों की जानकारी गांवों में बहुत कम है। मेघालय में बाल विवाह संस्थागत रूप से नहीं है, लेकिन कम उम्र में विवाह आम है। कई लड़कियां 13-14 वर्ष की उम्र में गर्भवती हो जाती हैं। जब ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई होती है, तो गांव वाले कहते हैं कि यह तो उनकी परंपरा रही है — यही सबसे बड़ी चुनौती है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से काउंसलर, विशेषज्ञ और CDPO अधिकारी दूरदराज के गांवों में जाकर कानूनी जागरूकता अभियान चलाएंगे।
पूर्व मंत्री लिंगदोह ने कम्युनिटी पुलिसिंग (Community Policing) को मज़बूत करने और Village Defence Parties (VDPs) को सशक्त बनाने पर जोर दिया, ताकि कानून व्यवस्था को जमीनी स्तर पर सहयोग मिल सके।


