शिलांग। मारवाड़ी समाज के सभी व्यापारियों के पुर्वज राजस्थान की मात्रभुमी से चलकर शिलांग प्रवास में पहुंचकर अपना व्यापार बसाया था जो आज दर पीढ़ी दर उनके बेटे पोत्रो को काम आ रहा है |यहाँ के महाजनों ने व्यापार को अपनी ताकत बनाया और दुनियाँ को दिखाया कि हम किसी से कम नहीं है। जानकारी के अनुसार प्रदीप दाधीच ने बताया की मैंने इनके साथ अधिकांश समय बिताया ।
इन्होंने कभी दोस्त तो कभी शिक्षक बनकर मुझे बहुत कुछ न कुछ सिखाया।झुककर छोटा बन जाने का एक नेक पाठ पढ़ाया और हर रिश्ते को इन्होंने पूर्ण रूप से निभाया। हार कर रुक जाना इन्होंने कभी नहीं सिखाया। ” तू रख विश्वास” हमेशा मुझे समझाया। हर परिस्थिति में हमने आपको साथ खड़े पाया। स्वर्गीय भींवाराम जी दाधीच स्वर्गीय चिरंजीलाल जी दाधीच (मास्टर जी) मालीराम दाधीच, मदनलाल दाधीच जोधाराम ख्यालिया, गौरीदत्त शर्मा ने प्रवास में नौकरी करते हुए महाजन परिवारों के साथ अपने जीवन की पगडंडी को निभाते हुए अपनों के लिए एक रास्ता बनाया था हमारे परिवार के संपोषक बनकर इनके हाथों ने हमें सहलाया।आपके इसी अंदाज पर आज दुनियाँ आपकी दीवानी है। राजस्थान की धरा धरती पर गांव में विकास का भूमि पूजन आज से 40 साल पहले स्व. केशरदेव जी सिंघानिया द्वारा बड़ गट्टे के रूप में हुआ,जो अनवरत जारी है। इनके परिवार की धार्मिक कार्यों में पूरी रुचि रहती है।
स्व. डूंगरमल जी सिंघानिया ने मंदिर का जीर्णोद्धार सन 2000 में करवाया,जहाँ नित्य आरती और समस्त संस्कारों का निर्वहन पूरे विधि विधान से किया जाता है। इन्होंने मातुश्री रतनी देवी सिंघानिया स्मृति भवन बनवाया, जो ग्रामीणों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ। कुशल व्यवसायी होने के साथ साथ अपने परिवार, मित्रों और मुलाजिमों को अपनी असली दौलत मानते हैं।
इनसे मिलने या बात करने पर प्रशन्नता मिलती है।
गाँव और शिक्षा के विकास के सफर में शिलांग के स्व.रतनलाल मोहिनी देवी सिंघानिया चैरिटबल ट्रस्ट, स्व. कमाख्यालाल बाजोरिया ट्रस्ट, स्व.जगन्नाथ बावरी ट्रस्ट द्वारा एक एक कमरा बनवाया गया है
एक छोटे से आत्मीय निवेदन पर कल स्व.श्री कमाख्यालाल एवं श्रीमती गुलाबी देवी सिंघानिया शिलांग की स्मृति में उनके परिवार ने नव निर्मित बालिका शिक्षा के लिए हाल ही में एक कमरा मय बरामदा बनवाने की स्वीकृत कर उदारता का परिचय दिया है। वहीं सत्यनारायण बेरीवाल,अजय अग्रवाल, सुशील बंका, जगदीश प्रसाद गोयल, कुंज बिहारी अजमेरा, पवन बावरी, पारसमल बोथरा, मनोज अग्रवाल, राजेश शर्मा (हेपीवेली) अरुण झुनझुनवाला, विकास चौखानी, शंकर लाल सिंघानिया, महावीर प्रसाद सिंघानिया, सुंदर घोडीवाला, जैसे कई भामाशाह परिवार है जिन्होंने हर समय गौशाला, मंदिर,स्कुल,जल सेवा के लिए दान पुण्य करते हुए भामाशाह बनकर उभरे हैं ऐसे सभी प्रवासी भामाशाहों को सभी ने धन्यवाद दिया । वहीं सुशील दाधीच ने कहा की केवल धन दौलत से भामाशाह नही कहलाते हैं बल्कि दिल और पुर्वजों की पुन्याई से भामाशाह का दर्जा मिलता है देने वाले से ज्यादा मांगने वाला प्रेरणादायक होता है जो जनहितैषी बनकर प्रेरित करता है और उसकी भावनाओं को समझकर भामाशाह खुले हाथों से पुन्य के कार्य करते हुए अपने पुर्वजों का नाम अटल कर देते हैं।